एसोफैगस कैंसर

एसोफैगस कैंसर क्या हैं?
आहार नली २०-२५ सेमी लम्बी और २-३ सेमी चौड़ी नाली है जो मुँह से पेट मे खाना पहुंचाने के लिये कार्य करती है। ग्रासनली का कैंसर सामान्यतः दो रूपों मे विभाजित होता है स्कैम्स सैल कार्सिनोमा और एडिनो कार्सिनोमा । स्कैम्स सेल कार्सिनोमा स्तरीकृत स्कैम्स एपिथेलियम से उत्पन्न होता है और एडिनोकार्सिनोमा स्तम्भ ग्रंथि कोशिकाओं से । सारकोमा और स्माल सेल कार्सिनोमा आमतौर पर  सभी ग्रासनली कैंसरो का १% से २% होता है। बहुत  ही दुर्लभ मामलों मे कार्सिनोमा, मेलानोमा, कार्सिनोइड्स और लिम्फोमा भी ग्रासनली मे विकसित हो सकता है

स्कैमस सेल कार्सिनोमा ग्रासनली कैंसर का एक प्रमुख उतकीय प्रकार है । इस कैंसर की घटना दर जीवन के सांतवें दशक में अधिक बट जाती है । स्कैमस सेल कार्सिनोमा श्वेतवर्णीय पुरुषों की अपेक्षा श्याम वर्ण के पुरुषों में तीन गुना अधिक पाया जाता है जबकि श्वेत वर्ण के पुरुषो में एडिनोकार्सिनोमा सामान्य रूप से पाया जाता है । स्कैमस सेल कार्सिनोमा और एडिनोकार्सिनोमा का प्राकृतिक इतिहास काफी हद तक अलग होता है । ट्राजिशन माडल द्वारा स्कैमस सेल कैंसर के लिये डिस्प्लेसिया की प्रगति और घातक परिवर्तनों से गुजरने वाले स्कैमस एपिथेलियम का वर्णन किया है । अधिकांश  एडिनोकार्सिनोमा मेटाप्लास्टिक एपिथेलियम से विकसित होते है  जो आमतौर पर बैरेटस एसोफेगस के नाम से जाना जाता है ।  यह रिपलक्स एनोफैगिटिस के दौरान स्कैमस एपिथेलियम की जगह लेता है और डिस्पेलेसिया में बदल सकता है | गेस्ट्रोएसोफेजियल रिप्लेक्स रोग ग्रासनली के अस्तर को नुकसान पहुँचा सकता है जो बैरेटस ग्रासनली कैंसर का करण बन जाता है । सभी एडिनोकार्सिनोमा के लगभग तीन तिमाही ग्रासनली के नीचे के भाग पाए जाते है , जबकि स्कैमस सेल कार्सिनोमा मध्यम और निम्न भागों में अधिक पाए जाते है ।

महामारी विज्ञान और आंकड़े

  • ग्रासनली का कैंसर पूरी दुनिया भर में पाया जाने वाला आठवाँ सबसे आम कैंसर है । सन 2012 में अनुमानतः इस कैंसर के 456,000 नए मामले ( कुल कैंसर का 3.2%) पाये गए और सभी कैंसर से होने वाली मृत्यु का यह छटा सबसे आम करण रहा है जिससे अनुमानित 400,000 मौते (कुल कैंसर का 4.9%) दर्ज की गई
  • ग्रासनली कैंसर की घटना दर और विकृति में बहुत क्षेत्रीय भिनंता मौजूद है ।
  • भारत में कैंसर संबधित मौतो में ग्रासनली कैंसर का चौथा मुख्य करण है ।
  • दुनिया भर में ग्रासनली कैंसर की घटनाओं की दर महिलाओ की अपेक्षा पुरुषों में दोगुनी से अधिक है । (पुरुषों : महिलाओ अनुपात 2.4:1 )

1 . लिंग : अधिकांश देशों में महिलाओ के मुकाबले ग्रासनली कैंसर की घटना दर पुरुषों में आमतौर पर अधिक है ।

2 . धूम्रपान: ग्रासनली कैंसर का एक प्रमुख जोखिम कारक धूम्रपान: ग्रासनली कैंसर का एक स्पष्ट जोखिम कारक है ।

3 . मदिरापान : मदिरापान ग्रासनली कैंसर का एक स्पष्ट जोखिम कारक है ।

4 . तंबाकू  एवं अनुचित पोषण संबधित आदतें : सुपारी और तंबाकू का सेवन दक्षिण पूर्व एशिया और भारत जैसे क्षेत्रों में आम है । इनका संबध ग्रासनली कैंसर के विकास से पाया गया है ।

5 . गैस्ट्रोएसोफेजियल रिफ्लक्स डिसीज और बैरेटस एसोफेगस

6 . मोटापा

7 . कुछ औषधियो का सेवन

8 . आनुवंशिकी कारण

ग्रासनली कैंसर के जोखिम कारक इस कैंसर के दो प्रमुख उपप्रकारों में थोड़ा भिन्न है :

 जोखिम  स्कवेमस  सैल कार्सिनोमा एडिनोकार्सिनोमा
भौगौलिक स्थिति अफ्रीका , एशिया , ईरान ,  दक्षिणी अमेरिका पशिचमी यूरोप , उत्तरी अमेरिका ऑस्ट्रेलिया
 वर्ण श्याम वर्ण > श्वेत  वर्ण श्वेत  वर्ण > श्याम वर्ण
 लिंग पुरुष > महिलाये पुरुष > महिलाये
शराब ++++
तंबाकू ++++ ++
मोटापा +++
गैस्ट्रोएसोफेजियल रिफ्लक्स डिसीज ++++
 आहार : कम फल और सब्जियो का सेवन ++ +
सामाजिक आर्थिक स्तिथि ++
आनुवंशिक पहलू ++ +

एसोफैगस कैंसर की रोकथाम

ग्रासनली या आहार नली का कैंसर दुनिया भर की एक स्वास्थ्य समस्या है जो उन्नत चरणों में निदान हो पाने के वजह से उच्च मृत्यु दर क का बड़ा कारण है। ग्रासनली कैंसर के विकास की रोकथाम का कोई निशिचत रास्ता नहीं है । विभिन प्रकार की भौतीक , जीवन शैली और पर्यावरणीय कारकों के कारण कुछ लोगों में ग्रासनली कैंसर के दूसरे लोगों की तुलना में विकसित होने की संभावना अधिक रहती है । लेकिन स्वस्थ्य आदतों को अपना कर जैसे धूम्रपान न करना , शराब का सेवन न करना , नियमित व्यायाम , अव्याधिक वजन को नियंत्रित करना और नियमित चिकित्सीय परामर्श द्वारा ग्रासनली के कैंसर का जोखिन कम किया जा सकता है । चुंकि स्कैम्स सैल कार्सिनोमा और एडिनोकार्सिनोमा के विभिनं जोखिम कारक है इसलिये उनके रोकथाम के लिये अलग अलग दृष्टिकोण अपनाने को आवश्यक्ता होती है।

ग्रासनली कैंसर में स्कैमस सैल कार्सिनोमा के लिये प्रमुख पर्यावरणीय जोखिम कारक (सिगरेट) धूम्रपान और शराब के सेवन को सीमित करने से इसका खतरा घटाया जा सकता है । गैस्ट्रोएसोफेजियल रिफ्लक्स रोगो (जी . ई . आर . डी ) और बैरेटस ऐसोकेगस एडिनोकार्सिनोमा के जोखिम को काफी बताते है । हालाकि अब तक ऐसा कोई प्रमाणित दस्तावेज नही है जो कहता है की रिफ्लक्स रोग को खत्म करने से एडिनोकार्सिनोमा विकसित होने के जोखिम कम होता है । बैरेटस वाले रोगियो को छोडकर ग्रासनली कैंसर का पता लगाने के लिये नियमित स्क्रीनिंग नही की जाती ।

स्कैमस डिस्प्लेसिया ग्रासनली कैंसर की पूर्व कैंसर स्तिथि होती है और बैरेटस ग्रासनली एडिनोकार्सिनोमा कैंसर की पूर्व कैंसर स्तिथि होती है । इन पूर्व कैंसर अवस्थाओ का पता लगाने और उनका प्रबंधन करने से ग्रासनली कैंसर की मृत्युदर को कम किया जा सकता है ।

1 . खाना निगलने में कठिनाई
2 . अस्पष्टीकृत वजन घटना
3 .अपच या सीने में जलन
4 . सीने में दर्द
5 .  खाँसी या आवाज में भारीपन

प्रारंभिक अवस्था में ग्रासनली के कैंसर में आम तौर पर कोई लक्षण नही दिखाई देते है ।

क्या शुरुआती जांच के लिए कोई परीक्षण हैं:

ग्रासनली के कैंसर के लिए स्क्रीनिंग की सिफारिश तब की जाती है यदि आप उच्च जोखिम में हैं, उदाहरण के लिए यदि आपको बैरेट एसोफैगस है।
यदि आपको ग्रासनली के कैंसर का उच्च जोखिम है, तो संदिग्ध भागों से बायोप्सी के साथ नियमित अंतराल पर ऊपरी जीआई एंडोस्कोपी की सिफारिश की जाती है।

इसकी पहचान कैसे की जा सकती है ?

एंडोस्कोपी: कैमरे से लैस एक लचीली ट्यूब को गले के नीचे खाने वाली नली में डाला जाता है। एंडोस्कोप का उपयोग करते हुए, चिकित्सक खाने की नली की जांच करता है, संदिग्ध भागों की तलाश करता है और पैथोलॉजिकल परीक्षा के लिए ऊतक का एक टुकड़ा लेता है।
एंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड (एंडोस्कोप के अंत में एक अल्ट्रासाउंड जांच का उपयोग करके) डॉक्टर को आस-पास के क्षेत्रों में ट्यूमर के विकास की सीमा को देखने के साथ-साथ बढ़े हुए लिम्फ नोड्स की जांच करने में मदद करता है।
इमेजिंग परीक्षण का प्रयोग संदिग्ध भागों की तलाश करने, कैंसर के फैलाव की जांच करने और उपचार के दौरान यह देखने के लिएकि बीमारी किये गए इलाज के लिए प्रतिक्रिया दे रही है या नहीं, किया जाता है |

1) बेरियम निगल: इस परीक्षण में, आपको बेरियम नामक गाढ़ा टुकड़ा तरल पदार्थ के साथ पीना होता है जो खाने की नली की दीवारों को ढक लेता है । फिर एक्स-रे लिए जाते हैं जो खाने की नली की अंदरूनी सतह को दिखाते हैं, जिसमें से एक ऊतक का टुकड़ा लिया जा सकता है और असामान्य कोशिकाओं की जांच की जाती है।
2) सीटी स्कैन: पास के अंगों और लिम्फ नोड्स में कैंसर के फैलाव को देखने के लिए |
3) एमआरआई स्कैन: ट्यूमर के फैलाव का पता लगाने में मदद करता है, विशेष रूप से मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी में|
4) पीईटी स्कैन: शरीर के अन्य भागों में कैंसर के फैलाव को देखने में मदद करता है।

बायोप्सी का उपयोग एंडोस्कोपी या इमेजिंग अध्ययन के दौरान मिले संदिग्ध मामलों में किया जाता है। एंडोस्कोपी के दौरान निकाले गए ऊतक के टुकड़े में संभावित कैंसर कोशिकाओं के परिक्षण के लिए प्रयोगशाला में भेजा जाता है।

ब्रोंकोस्कोपी: यदि आपकी खाने की नली के ऊपरी भाग में कैंसर तो है ब्रोंकोस्कोपी का इस्तेमाल विंडपाइप (श्वासनली) में अथवा विंडपाइप से फेफड़ों तक जाने वाली नलियों में फैले कैंसर का पता लगाने की लिए किया जाता है।

स्तर और इलाज :

ग्रासनली के कैंसर के चरण 0 से IV तक होते हैं।

स्टेज 0: कैंसर एपिथेलियम या खाने की नली की अंदरूनी कोशिकाओं तक सीमित है।
स्टेज I : ट्यूमर का आकार छोटा (7 सेमी या उससे कम) है और खाने की नली तक सीमित है।
स्टेज II : कैंसर में या तो खाने की नली की सभी परतें शामिल हैं लेकिन लिम्फ नोड्स में अभी फैलाव नहीं हुआ है या आस-पास के एक या दो लिम्फ नोड्स में फैलाव के साथ खाने की नली की आंतरिक तीन परतों तक सीमित है।
स्टेज III: कैंसर में खाने की नली की सभी परतें शामिल हैं और वह पास के लिम्फ नोड्स में फैल गया है | (संख्या में 6 से अधिक नहीं)।
स्टेज IV : कैंसर 7 या अधिक लिम्फ नोड्स में फैल गया है अथवा फेफड़ों की परतों में ,हृदय के आवरण में फ़ैल गया है या श्वासनली, महाधमनी, रीढ़ या यकृत और फेफड़ों जैसे दूर के अंगों तक फैल गया है ।

इलाज:

नेशनल कॉम्प्रिहेंसिव कैंसर नेटवर्क (NCCN) ग्रासनली के कैंसर [27] के उपचार के लिए दिशानिर्देश प्रदान करता है। उपचार के विकल्प कैंसर के चरण के साथ-साथ आपके सम्पूर्ण स्वास्थ्य पर भी निर्भर करते हैं।

सर्जरी:
• एंडोस्कोपिक रिसेक्शन (बहुत छोटे ट्यूमर के लिए)
• एसोफेजेक्टोमी :खाने की नली के एक हिस्से को हटाना|
• खाने की नली का एक भाग और पेट के ऊपरी भाग को निकालना (एसोफैगोगैसस्ट्रेक्टोमी)

कीमोथेरेपी: कैंसर कोशिकाओं को मारने के लिए दवाओं का उपयोग। यह सर्जरी से पहले या बाद में या विकिरण चिकित्सा के साथ उपयोग किया जा सकता है।

विकिरण चिकित्सा या रेडियोथेरेपी: यह अक्सर कीमोथेरेपी के साथ संयुक्त रूप से और सर्जरी से पहले और कभी-कभी सर्जरी के बाद उपयोग किया जाता है। रेडियोथेरेपी का उपयोग उच्च अवस्था के ग्रासनली के कैंसर के लक्षणों से राहत के लिए भी किया जा सकता है।

टारगेटेड थेरेपी: यदि आपका ग्रासनली के कैंसर HER2 के लिए सकारात्मक है तो ट्रास्टुज़ुमैब (हर्सेप्टिन) का उपयोग किया जा सकता है। एंटी-एंजियोजेनिक थेरेपी (कैंसर को भूखा करने के लिए नई रक्त वाहिकाओं को बनने से रोकने वाली दवाएं) का उपयोग तब किया जा सकता है जब कीमोथेरेपी से काम नहीं चलता है।

इम्यूनोथेरेपी: कैंसर कोशिकाओं से लड़ने के लिए आपके शरीर के रक्षा तंत्र को बढ़ावा देने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।

1 . दूरबीन द्वारा जाँच ( एंडोस्कोपी )
ग्रासनली कैंसर के पूर्व कैंसर अवस्थाओ के निदान हेतु एन्डोस्कोपी एक अच्छी विधि है । एंडोस्कोपी के दौरान एक लचीली नली ( टूयूब ) जो विडियोस्कोप से जुड़ा होता है को गले द्वारा ग्रासनली में डाल दिया जाता है और चिकित्सक इसके अंदरुनी हिस्से के संदिग्ध क्षेत्र को देख पाता है ।
2 . बायोप्सी । टुकड़े की जाँच
एन्डोस्कोपी के दौरान संदिग्ध चिन्हित क्षेत्रों से टुकड़े लेकर उन्हें कैंसर कोशिकाओ का पता लगाने के लिये प्रयोगशाला जाँच के लिये भेजा जाता है।
3 . ब्रोन्कोस्कोपी : यह जाँच ग्रासनली कैंसर के #उपरी हिस्से के कैंसर में यह देखने के लिये की जाती है कि कैंसर विंडपाइप या वायुपेशी और फेफड़ों में तो नहीं फैला है।
4 . एक्स रे , सी . टी . स्कैन , एम . आर . आई , पी . ई . टी . स्कैन जैसे परीक्षण यह पता लगाने के लिये किये जाते है कि कैंसर कहाँ कहाँ फैला है ।

चरण & इलाज

ग्रासनली कैंसर की अवस्थाये शून्य से चार तक होती है । विभिन्न अवस्थाये इंगित करती है कि कैंसर कितना बड़ा या छोटा है और शरीर के कीन हिस्सों में फैल गया है । कैंसर की चौथी अवस्था उन्नत मानी जाती है

उपचार :
1 . राष्ट्रोय व्यापक कैंसर नेटवर्क (एन . सी . सी . एन ) ग्रासनली कैंसर के उपचार हेतु दिशानिर्देश प्रदान करता है ।
2 . उपचार हेतु कई विकल्प लिये जाते हे । छोटे ट्यूमर के लिये केवल ट्यूमर ( गाँठ ) को निकाल सकते है । बड़े या फैले हुये कैंसर के लिये विस्तृत शल्य
चिकित्सा या विकिरण चिकित्सा के विकल्प होते है ।
3 . अनुशंसित उपचार मुख्य रूप से ग्रासनली कैंसर के अवस्था , ट्यूमर का स्थान , और मरीज की शारीरिक तथा चिकित्सा स्तिथि देखने के पश्चात निर्धारित किया जाते है

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