- मुख का कैंसर क्या हैं?
- क्या आप खतरे में है ?
- मुख के कैंसर के संभावित विकार
- मुख के कैंसर की रोकथाम
- चिकित्सक से कब सलाह ले
- शुरुआती पहचान के लिये जांच
- निदान कैसे संभव है
- चरण & इलाज
- संदर्भ
मुँह के कैंसर का अर्थ है मौखिक गुहा (होठों से शुरू होकर पीछे टाॅन्सिल तक का हिस्सा) अथवा ओरोफैरिन्कस (गले का अंदरूनी हिस्सा) के ऊतकों में होने वाला कैंसर।
मुख संरचना [1]
मुख संरचना में अलग-अलग हिस्से होते है
- जीभ
- होंठ
- मसूडे और दाँत
- गालों का अस्तर (अन्दर का हिस्सा)
- लार ग्रथिंयाँ
- मुँह की निचली सतह
- मुँह का ऊपर का हिस्सा (ठोस तालू)
- टाॅन्सिल
- अलिजिव्हा
प्रमुख आकड़े
विश्व के समस्त मुख कैंसर के मामलों में से एक तिहाई भारत में होते हैं। [2]
भारत में सभी तरह के कैंसरों का लगभग एक तिहाई हिस्सा मुख के कैंसर है। [3]
ग्लोबोकेन आंकड़ों के अनुसार 2018 में भारत में मुख के कैंसर के आँकड़ें [4]:
नए मामले: 1,19,992
मृत्यु: 72,616
सामान्यत: मुख कैंसर के मामलों में महिलाओं की तुलना में पुरूषों की मृत्यु ज्यादा होती है। [5]
क्या आपको मुख के कैंसर का खतरा है
तम्बाकू का सेवन
यदि आप नियमित रूप से तम्बाकू और सुपारी का सेवन करते है तो आपको मुख का कैंसर होने की संभावना हो सकती है|[6,7] मुँह के अन्दर तम्बाकू रखने से गाल, मसूड़ों और मुँह के भीतरी हिस्से का कैंसर हो सकता है। पान और सुपारी भी इस कैंसर का कारण हो सकते हैं। [8]
मद्यपान: शराब मुँह के कैंसर के खतरे को बढ़ाती है। [9] प्रतिदिन तीन से चार मादक पेय पीने वालों में मुख के कैंसर का खतरा उन लोगों से दुगुना है जो मद्यपान नहीं करते। [10,11].
शराब और तम्बाकू दोनों का सेवन करने वालों में मुख के कैंसर का खतरा और भी अधिक हो जाता है। [12]
तीखे दाँत या बुरी फिटिंग वाले डेन्चर: नुकीले दाँत और ढीले डेन्चर से होने वाली मसूड़ों और गाल की पुरानी जलन भी एक जोखिम कारक है। [13]
आहार : अपोषित आहार अथवा फलों और सब्जियों के सेवन में कमी मुख के कैंसर के खतरे को बढाता है। [14]
एच.पी.वी. वायरस: कुछ उच्च जोखिम प्रकार के एच.पी.वी. के संक्रमण से भी मुँह के कैंसर का खतरा, विशेष रूप से युवा वर्ग में, बढ़ जाता है। [15,16]
कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली: जिन व्यक्तियों में शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है उनमें मुख के कैंसर से ग्रस्त होने की संभावना अधिक होती है। कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली के कारण कुछ जन्मजात बीमारियाँ रेडियोथेरेपी और कीमोथेरेपी, अंग प्रत्यारोपण प्राप्तकर्ताओं को मिलने वाली दवाएँ अथवा एड्स संक्रमण हो सकते हैं। [17,18]
सूर्य की अल्ट्रा वायलेट किरणों से संपर्क: सूर्य की अल्ट्रा वायलेट किरणों के संपर्क में आने से कैंसर का खतरा बढता है। [17]
मुख के कैंसर के संभावित विकार (पूर्व कैंसर अवस्थाए)
निम्नलिखित मुख के विकारो के कैंसर में परिवर्तित होने का खतरा रहता है
ल्यूकोप्लेकिया
एरिथ्रोप्लेकिया
ओरल सबम्यूकस फाइब्रोसिस (OSMF)
ओरल लाइकेन प्लेन्स (OLP)
ओरल लिचेनॉइड लेशन्स (OLL)
स्मोकर्स पैलेट
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• तम्बाकू के सभी प्रकार के इस्तेमाल बचें | पान के साथ सुपारी का इस्तेमाल न करें |
• शराब के सेवन से बचें |
• खूब सारे ताज़े फल एवं सब्ज़ियां खाएं |
• मुख के अंदर के ऊतकों में थोड़ी सी भी तकलीफ जैसे की लाल ,सफ़ेद अथवा मिश्रित धब्बे, न ठीक होने वाला अलसर ,गाँठ इत्यादि होने पर तुरंत दांतों के डॉक्टर से सलाह लें |
1: मुहँ, चेहरा या गले में पुराना पीड़ादायक घाव जो ठीक न हो रहा हो।
2: मुहँ खोलने में कठिनाई।
3: जीभ, मसूड़ों और मुहँ के भीतरी हिस्सों में सफेद, लाल या मिश्रित चकत्ते होना।
4: गले में गाठँ होना।
5: मुहँ, जीभ, जबडे़ में दर्द और चबाने या निगलने में कठिनाई।
6: होंठ, मसूड़ों या मुहँ की भीतरी हिस्सों पर सूजन या गाठँ होना।
7: मुहँ में अस्पष्टीकृत रक्तस्त्राव।
8: स्वर का कर्कश होना या आवाज में परिवर्तन।
9: ढीला दाँत और बुरी फिटिगं का डेन्चर।
10: अस्पष्टीकृत वजन घटना।
उपर्युक्त सकेंत और लक्षणों में से कुछ लक्षण मौखिक गुहा के बैनाइन ट्यूमर और अन्य कैंसरो में भी हो सकते है। यदि इनमें सें कुछ भी 2 सप्ताह सें अधिक के लिए होता है, तो निदान व जाँच के लिये चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए।
शुरुआती पहचान के लिये जांच [20]
मुख के कई कैसरों में पूर्व कैंसर की लम्बी अवधि होती हैं, जिसके दौरान कुछ लक्षणों के होने पर चिकित्सक सहायता प्राप्त करने का अवसर होता है। इन कैंसरों का पूर्व निदान सामान्य स्वास्थ्य परीक्षण द्वारा होता है जो किसी भी कुशल चिकित्सक/ दंत चिकित्सक/ स्वास्थ्य कार्यकर्ता अथवा स्वयं परीक्षण द्वारा भी किया जा सकता है।
मौखिक गुहा का शारीरिक परीक्षण
यदि कोई भी संकेत अथवा लक्षण दो हफ्ते से अधिक कायम हो या स्वंय परीक्षण पर कोई असामान्य क्षेत्र का पता चले तो आपको अपने चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए। चिकित्सक आपका प्रासंगिक इतिहास एवं विभिन्न जोखिम कारकों की उपस्थिति को देखेगा। इसके पश्चात चिकित्सक आपके मुँह में असामान्य क्षेत्र के लिए परीक्षण करेगा एवं गाँठ अथवा घाव के लिए दस्ताने पहनकर मुँह में उंगली से महसूस करेगा।
मुख का स्वयं परीक्षण
आप अपने मुख का स्वयं परीक्षण भी कर सकते हैं। यह परीक्षण आपको आइने के सामने खड़े होकर तेज प्रकाश में करना चाहिए। इससे मुख के कैंसर का पूर्व निदान हो सकता है।
मुख के स्वयं परीक्षण की कार्यविधि [19]
1: अपने हाथों को अच्छी तरह से धोएँ।
2: उंगली की सहायता से अपने मुख के अंदर निरीक्षण करें।
3: अपना सिर पीछे की ओर झुकाएँ और मुख के उपर की ओर असामान्य क्षेत्र के लिए परीक्षण करें।
4: एक तरफ का गाल खीचें और उसके अंदर की तरफ ध्यान से देखें; मसूड़ों को भी ध्यान से देखें।
5: अपनी जीभ बाहर की ओर निकालें और उसे उंगली से उपर की ओर पकड़े। जीभ एवं मुख की सतह का ध्यानपूर्वक निरीक्षण करें।
6: गर्दन की दोनों तरफ किसी भी गाँठ या बढ़े हुए लिम्फ नोड्स को महसूस करें।
7: यदि किसी भी विषमता का पता लगता है तो आगे के निदान के लिये चिकित्सक से सम्पर्क करें।
अन्य परीक्षण: इस चिकित्सक परीक्षण के अलावा कुछ अन्य साधारण परीक्षण भी किये जा सकते है। यदि आपको किसी भी जोखिम कारक का इतिहास है तो चिकित्सक असामान्य क्षेत्र देखने के लिये प्रकाश के साथ या प्रकाश के बिना एक प्रकार की डाई (टाल्यूडिन बल्यु) का उपयोग कर सकता है।
यदि किसी असामान्य क्षेत्र का पता चले तो कोशिका विज्ञान या बायोप्सी (टुकड़े की जाँच) कर सकता है।
यदि पैथोलोजिस्ट इस बात की पुष्टि करते है कि आपको कैंसर हैं तो चिकित्सक आपको विशेषज्ञ के पास भेज सकता है।
अ. प्रांसगिक इतिहास,सामान्य शारीरीक परीक्षण और मुहँ का परीक्षण
व्यक्ति का प्रांसगिक इतिहास जैसे तंबाकू की किसी भी रूप में (पान चबाना, गुटखा, खैनी ) सेवन की अवधि व आवृत्ति ओैर मद्यपान के बारे में जानना जरूरी है।
मुहँ का परिक्षण: चिकित्सक द्वारा पूरे मुख का सावधानी पूर्वक परीक्षण किया जाना चाहिये। इस परीक्षण में गले के पीछे, मुहँ के ऊपर का हिस्सा, गला और होंठ आदि को भी देखा जाना चाहिए। चिकित्सक आपके सिर, गर्दन या चेहरे पर कोई लाल या सफेद धब्बा या अन्य असामान्य क्षेत्र के लिए भी देखेगा। किसी प्रकार की गाठँ या सूजन अथवा मुहँ या चेहरे की नसों में समस्या के लिए भी परखना चाहिये। यदि परीक्षण के दौरन कोई भी असामान्यता पाई जाती है, तो निम्न जाचों द्वारा पुष्टि करनी चाहिये:
ब. आक्रामण परीक्षण:
ब्रश कोशिका विज्ञान (Brush cytology): इस परीक्षण में संदिग्ध क्षेत्र घाव से ब्रश की सहायता से नमूना लिया जाता है। और कोशिकाओं को पैथोलोजिस्ट द्वारा माइक्रोस्कोप (दूरबीन) से देखा जाता है।
सूई की जाचँ (एफ. एन. ए. सी): इस परीक्षण में एक पतली सूई का प्रयोग किया जाता हैं; जिससें संदिग्ध गाँठ या सूजन से कुछ कोशिकाओं को निकाला जाता हैं एवं इन कोशिकाओं को एक गिलास स्लाइड पर फैंलाया जाता हैं। इन कोशिकाओं की पैथोलाजिस्ट द्वारा माइक्रोस्कोप (दूरबीन) में जाँच की जाती हैं। एफ एन ए सी आम तौर पर ग्रीवा क्षेत्र में, सिर और गर्दन के मेटास्टेटिक कैंसर का निदान करने के लिए प्रयोग किया जाता हैं।
बायोप्सी (टुकड़े की जाचँ): टुकड़े की जाँच में संदिग्ध क्षेत्र से पंच बायोप्सी औंजार का प्रयोग कर टुकड़ा लिया जाता हैं। कभी-कभी जाँच के लिये एण्डोस्कोपी का प्रयोग भी किया जाता हैं जिससे टुकड़े की जाचँ सुलभता से हो सकें। बायोप्सी में प्राप्त उतकों कों संसाधित करके प्रयोगशाला में कैंसर के होने के प्रमाण देखे जाते हैं।
स. इमेंजिंग परीक्षण: इमेंजिग परीक्षण का उपयोग रोग के निदान की पुष्टि, कैंसर के फैलाव का पता लगाने व कैंसर अवस्था को निर्धारित करने के लिए किया जाता है। सामान्यतः एक्सरे, सी.टी. स्कैन, ए.म.आर.आई और पी.ई.टी. परीक्षण किए जाते हैं।
द. अन्य परीक्षण:
एच.पी.वी. टेस्टिंग/परीक्षण: एच.पी.वी. सक्रमण के कारण मुख का कैंसर बढ़ रहा है। डाॅक्टर टुकड़ें की जाँच के नमूने में एच.पी.वी. संक्रमण की उपस्थिति का पता लगाते हैं।
मुख के कैंसर की स्टेजेस निम्नलिखित मापदंडों पर निर्भर करते हैं
गाँठ या ट्यूमर का आकार
यदि कैंसर केवल मुख के अंदर के ऊतकों में ही फैला है
यदि कैंसर ग्रीवा के लिम्फ नोड्स में फ़ैल गया है
यदि शरीर के अन्य भागों में कैंसर फ़ैल गया है
टी.एन.एम. प्रणाली निम्नलिखित पर आधारित है:
ट्यूमर का माप (टी. ट्यूमर के लिये)
लिम्फ नोड में फैलाव (एन. नोड के लिये)
शरीर के अन्य अंगों तक फैलाव (एम. मेटास्टेसिस के लिये)
उपचार:
संभावित रूप से घातक विकारों (पूर्ण रूप से कैंसर बनने से पहले ) का इलाज विभिन्न तरीके की चिकत्सा नीति (जैसे, एंटीऑक्सिडेंट, दर्द ठीक करने की दवाई आदि) और सर्जिकल तौर-तरीके (उदाहरण: क्रायोसर्जरी, लेज़र आदि) द्वारा किया जाता है।
आपके व्यक्तिगत मौखिक कैंसर उपचार की योजना निम्नलिखित कारकों के आधार पर बनाई जाती है: [२४]
ट्यूमर कारक – कैंसर की शुरुवात की जगह , आकार, स्थान, हड्डी से निकटता, गर्दन के लिम्फ नोड्स की स्थिति, पिछले उपचार और ऊतक के टुकड़े की रिपोर्ट ।
रोगी के कारक – रोगी की आयु, उसके शारीरिक स्वास्थ्य का स्तर , दवाइयों को सहन करने की शक्ति , उसका काम और आमदनी , रोगी द्वारा स्वीकार्यता अनुपालन और उसका रहन सहन ।
चिकित्सक कारक – सर्जरी, रेडियोथेरेपी, कीमोथेरेपी, पुनर्वास सेवाओं, दंत चिकित्सा और प्रोस्थेटिक समर्थन और मनो-सामाजिक समर्थन सहित विभिन्न विषयों में विशेषज्ञता।
उपचार के तौर-तरीके: [२५]
मुख का कैंसर का , शुरुवाती अवस्था में, एक या निम्न तौर-तरीकों के संयोजन का उपयोग करके प्रबंधित किया जाता है:
सर्जरी
रेडियोथेरेपी
कीमोथेरपी
शुरुआती मुंह का कैंसर-
ज्यादातर शुरुवाती मुख के कैंसर के इलाज स्थानीय हिस्से को काटकर या रेडियोथेरेपी के साथ किए जा सकते हैं, शरीर के कार्य करने की क्षमता को बिना अथवा काम से काम नुकसान पहुंचाते हुए |
कुछ मामलों में लिम्फ नोड्स को निकालने के लिए वैकल्पिक गर्दन में ऑपरेशन किया जाता है। ऑपरेशन के बाद रेडियोथेरेपी केवल उन लोगों को दी जाती है जिनमें उच्छेदन मार्जिन (रेसेक्टेड मार्जिन )हो और जिन लोगों का पुनः ऑपरेशन नहीं किया जा सकता हैं।
बाहरी बीम रेडियोथेरेपी (एक मशीन से एक बीम को कैंसर से प्रभावित शरीर के हिस्से में केंद्रित करना) और ब्रैकीथेरेपी (कैंसर साइट पर विकिरण {रेज़}पहुंचाने के लिए एकइम्प्लांट का उपयोग करता है), या तो अकेले या दोनों को मिलाकर , सर्जरी के स्थान पर दिया जा सकता है जिनसे शुरुवाती मुख के कैंसर का इलाज किया जाता है |
स्थानीय रूप से फैले हुए कैंसर-
सर्जरी के बाद रेडियोथेरेपी के इलाज का पसंदीदा तरीका है उन रोगियों में जिनमे गहरेग्रेड वाले ट्यूमर और हड्डी में फैलने वाला कैंसर होता है । अकेले रेडियोथेरेपी की तुलना में ऑपरेशन के साथ साथ कीमोथेरेपी देने के नतीजे बेहतर पाए गए हैं |
स्थानीय रूप से फैले हुए ट्यूमर जो अभी हड्डी में नहीं फैला है उनके लिए रेडियोथेरेपी एक अच्छा विकल्प है | इसे कीमोथेरेपी के साथ या उसके बिना दिया जा सकता है |
उच्च चरण–
लाइलाज।
केवल उपशामक / सहायक उपचार प्रदान किया जाता है।
संदर्भ
[1] Oral anatomy. http://screening.iarc.fr/atlasoral_list.php?cat=H4&lang=1. Accessed on 3rd September, 2014
[2] Coelho KR. Challenges of the Oral Cancer Burden in India. J Cancer Epidemiol. 2012; Volume 2012, Article ID 701932. doi:10.1155/2012/701932
[3] Sankaranarayanan R, Ramadas K, Thomas G et al. Effect of screening on oral cancer mortality in Kerala, India: a cluster-randomised controlled trial. Lancet 2005;365:1927–33
[4] Ferlay J, Soerjomataram I, Ervik M, et al. GLOBOCAN 2012 v1.0, Cancer Incidence and Mortality Worldwide: IARC Cancer Base No. 11[Internet]Lyon, France: International Agency for Research on Cancer; 2013. Available from: http://globocan.iarc.fr, accessed on 6th August 2014
[5] Global oral cancer fact sheets. http://www.who.int/oral_health/publications/fact_sheet_tobacco/en/index1.html. Accessed on 10th September 2014
[6] Global Tobacco Adults Survey. Available at www.mohfw.nic.in/WriteReadData/l892s/1455618937GATS%20India.pdf;2009
[7] Pednekar MS, Gupta PC, Yeole BB, et al. Association of tobacco habits, including bidi smoking, with overall and site-specific cancer incidence: results from the Mumbai cohort study. Cancer Causes Control. 2011; 22(6): 859-68
[8] Lin WJ, Jiang RS, Wu SH, et al. Smoking, Alcohol, and Betel Quid and Oral Cancer: A prospective Cohort Study. J Oncol 2011;2011:525976
[9] IARC Monographs on the Evaluation of Carcinogenic Risks to Humans VOLUME 96 Alcohol Consumption and Ethyl Carbamate IARC 2010. Lyon, France. http://monographs.iarc.fr/ENG/Monographs/vol96/mono96.pdf. Accessed on 5th September 2014
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[12] Znaor A, Brennan P, Gajalakshmi V, et al. Independent and combined effects of tobacco smoking, chewing and alcohol drinking on the risk of oral, pharyngeal and esophageal cancers in Indian men. Int J Cancer 2003;105:681-6
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[14] World Cancer Research Fund/American Institute for Cancer Research. Food, Nutrition, Physical Activity, and the Prevention of Cancer-a Global Perspective. Washington DC:AICR;2007
[15] International Agency for Research on Cancer. List of Classifications by cancer sites with sufficient or limited evidence in humans, Volumes 1 to 105*. Available from http://monographs.iarc.fr/ENG/Classification/index.php. Accessed on 6th August 2014.
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[18] Grulich AE, van Leeuwen MT, Falster MO, et al. Incidence of cancers in people with HIV/AIDS compared with immunosuppressed transplant recipients: a meta-analysis. Lancet 2007; 370:59-67.
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[20] Early Detection, Diagnosis, and Staging. http://www.cancer.org/cancer/oralcavityandoropharyngealcancer/detailedguide/oral-cavity-and-oropharyngeal-cancer-diagnosis